नई ख़बर : चीन में कोरोना वायरस ने एक बार फिर लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है। हर रोज लाखों नए मामले सामने आ रहे हैं। जिस हिसाब से चीन में कोरोना मामलों की वृद्धि हो रही है, ऐसा माना जा रहा है कि दुनिया में कोविड का नया वेरिएंट देखने को मिल सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों को इस बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन उन्हें लगता है कि ऐसा हो सकता है। उनका मानना है कि कोरोना का नया वेरिएंट ऑमिक्रॉन की तरह ही हो सकता है।
भारत और विदेशी मीडिया में कई जगहों पर चीन में कोरोना के तेज़ी से बढ़ते मामलों और मौतों की रिपोर्ट्स आ रही हैं. कहा जा रहा है कि कोरोना की ताज़ा लहर BF.7 वेरिएंट के कारण आई है. इन रिपोर्ट्स के बाद भारत में भी कोरोना को लेकर बैठकों और निर्देशों का सिलसिला शुरू हो गया है. मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर देशभर के कई अस्पतालों में तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए मॉक ड्रिल भी कराई गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आम लोगों को कोविड की रोकथाम के लिए तमाम तरह के क़दम उठाने की अपील की है. जैसे मास्क का इस्तेमाल और भीड़ जमा न करना.
आइए जानते हैं उन सवालों के जवाब जो कोविड-19 के सबसे नई क़िस्म को लेकर हो रहे हैं.
आख़िर बीएफ़.7 है क्या?
बीएफ़.7 को ओमिक्रॉन का सब-वेरिएंट बताया जा रहा है. साल 2019 में पहली बार पाए जाने के बाद कोरोना वायरस के कई वेरिएंट सामने आए हैं. जैसे डेल्टा और ओमिक्रॉन. वैज्ञानिकों के अनुसार ये नए वेरिएंट वायरस में बदलाव के कारण आते हैं. जिनमें भौगोलिक जैसे मौसम (सर्द, गर्म) और रासायनिक (किसी दवा) कारण शामिल हो सकते हैं. वायरस में बदलाव की प्रक्रिया को तकनीकी शब्दों में म्यूटेशन कहते हैं.
ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि बीएफ़.7 वेरिएंट चीन में भारी तबाही मचा रहा है. भारत के गुजरात और ओडीशा में भी उसके चंद मामले सामने आने की रिपोर्टस हैं. सरकार ने विदेशी यात्रियों की रैंडम टेस्टिंग भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर शुरू करवा दी है. हालाँकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जिस वेरिएंट को लेकर हो हंगामा मचा हुआ है वो भारत में पहले से ही मौजूद रहा है. जानी-मानी माइक्रोबायोलॉजिस्ट और वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग का कहना है कि चीन में जो वेरिएंट फैल रहा है वो पूरी दुनिया में कई महीने से मौजूद था. भारत में भी XBB और बीएफ़.7 मौजूद था.
इस वायरस के लक्षण क्या हैं?
अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर नफ़ीस फ़ैज़ी कहते हैं कि इसके लक्षण सर्दी और खांसी हैं.
उन्होंने बताया- इसके कारण थकान महसूस हो सकती है, नाक से पानी आ सकता है. कुछ लोगों में पेट ख़राब होने या दस्त लगने के लक्षण पाए जा सकते हैं.
नफ़ीस फ़ैज़ी कहते हैं कि रोग के बाक़ी लक्षण धीरे-धीरे और साफ होते जाएँगे. वो कहते हैं कि सबसे पहले ये ही सोच पूरी तरह ग़लत थी कि कोविड पूरी तरह समाप्त हो गया है.
बीएफ़-7 तेज़ी से फैलता है. समझा जाता है कि ये इम्यून सिस्टम यानी शरीर के भीतर किसी बीमारी को रोकने की क्षमता को लांघ जाता है. रिसर्च के अनुसार इस सब-वेरिएंट से संक्रमित मरीज़ वायरस को 10-18 व्यक्तियों में फैला सकता है. जबकि ओमिक्रॉन में संक्रमण का फैलाव पाँच से आठ लोगों तक पाया गया था. लेकिन ये डेल्टा स्ट्रैन (वेरिएंट) जितना घातक नहीं है जिसने भारत में भी भारी तबाही मचाई थी. ओमिक्रॉन का प्रभाव भारत में वैसे भी कम रहा था. तब तक एक बड़ी आबादी या तो संक्रमित होकर उस स्थिति से निकल गई थी या फिर एक बड़े वर्ग को देश में कोविड का टीका भी लग गया था. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पूर्व सदस्य डॉ. केआर एंथनी कहते हैं कि शुरुआती दिनों में जो स्ट्रेन पाया गया था उसमें धमनियों और फेफड़े में सूजन आ जाती थी जिसका नतीजा ये होता था कि ऑक्सीजन देने पर भी वो मरीज़ के सिस्टम में प्रवेश नहीं कर पाता था. केआर एंथनी कहते हैं कि तब बहुत सारी मौतें सांस लेने में परेशानियों की वजह से भी हुई.
चीन में इतने मामले क्यों ?
गगनदीप कांग कहती हैं चीन अपनी ज़ीरो-कोविड पॉलिसी में ढील दे रहा है जिसके कारण उसकी एक बड़ी आबादी संक्रमण का सामना कर रही है या करने वाली है जिससे अब तक उसे दूर रखा गया था. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पूर्व सदस्य डॉ. केआर एंथनी चीन की कोविड पॉलिसी को ज़रूरत से ज़्यादा उत्साही बताते हैं. अभी जो सब-वेरिएंट फैल रहा है वो ओमिक्रॉन है. ये वैसे लोगों के बीच विकसित हुआ है जिनका टीकाकरण हो चुका था इसलिए इसका संक्रमण तेज़ी से फैलता है. वो कहती हैं कि चीन में स्थिति वैसी ही होगी जैसी भारत में अप्रैल-मई 2021 और जनवरी 2022 में हुई थी. अपने एक ट्वीट में उन्होंने कहा है- बहुत सारे लोगों के संक्रमित होने का अर्थ है बहुत सारे बीमार लोग और ज़ाहिर है कि अस्पताल में भर्ती होने वालों और मौतों की संख्या उसी तादाद में होगी, और इस बात के हम पिछले कुछ दिनों में आदी नहीं रहे हैं.
भारत में स्थिति और चौथे टीके की ज़रूरत
हालाँकि प्रधानमंत्री मोदी ने जनता को सलाह दी है कि वो घर से बाहर मास्क का इस्तेमाल करें. साथ ही उन्होंने राज्यों और स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों को किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार रहने को कहा है. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने संसद में बयान दिया है कि भारत में कोरोना संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बयान दिया है कि सरकार नए वेरिएंट पर निगाह बनाए हुए है और राज्यों को भी इस सिलसिले में सलाह जारी की गई है. सरकार ने सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर जारी उस संदेश को भी फ़ेक बताया है जिसमें बीएफ.7 वेरिएंट को घातक बताया जा रहा था.
भारत में अब तक 2.2 अरब कोविड वैक्सीन लोगों को लगाए जा चुके हैं. लेकिन बूस्टर डोज़ लगवाने वालों की तादाद सिर्फ़ 27 प्रतिशत है. सरकार पहले भी लोगों को बूस्टर डोज़ लगवाने की सलाह देती रही थी. विशेषज्ञों की राय है कि अभी टीके का चौथा डोज़ लगवाने की जरूरत महसूस नहीं की जा रही है. लेकिन वो कहते हैं कि अधिक उम्र के लोग चाहें तो ये ले सकते हैं.
इलाज
मास्क लगाने की सलाह प्रधानमंत्री ने लोगों को दी ही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी सबसे पहली सलाह वही देते हैं. इलाज को लेकर उनकी सलाह है कि वो उसी तरह से होगा जैसे ओमिक्रॉन के समय में किया गया था. उस वक्त पेरासिटामोल का इस्तेमाल चिकित्सकों ने ख़ूब किया था. लेकिन चिकित्सकों से सलाह-मशविरे की बात वो बार-बार दोहराते हैं. विदेश यात्रा को लेकर भी उनकी सलाह है कि आप इसे फिलहाल न रोकें. लेकिन चीन न जाने की सलाह वो लोगों को देते हैं.
क्या नया रूप ले सकता है नया वेरिएंट
नफ़ीस फ़ैज़ी कहते हैं कि ओमिक्रॉन के इस सब-वेरिएंट को लेकर जो जानकारी है उसके मुताबिक़ बीएफ़-7 उससे अधिक ख़तरनाक नहीं है. उनके अनुसार ये भी नहीं लगता है कि इसका ज़्यादा म्यूटेशन हो